Wednesday, August 18, 2010

कल रात

कल रात पुरानी यादों का,गुलशन-ए-तमाम आया
फ़िर बहुत रोया था मैं,तब जाकर आराम आया
याद है मुझे तुझसे पहली बात,पहली मुलाकात वो
वो भी एक वक्त था कि जिन्दगी में खुशियों का गुलफ़ाम आया
वो बढना सिलसिला बातों का,वो बढना सिलसिला मिलने का
सब कुछ बहा ले गया जो पल में,जाने कहाँ से वो तूफ़ान आया
वो रखना यकीन तुझ पे रब से बढकर,वो करना फ़िक्र तेरी खुद से बढकर
पर तुम ना आये फ़िर कभी यार,चाहे मिलने का मौका हर शाम आया
इक बात बता दे दोस्त मुझे,तू क्यों था तब भी बेखबर
दिल से मेरे तो हज़ारों बार,तेरे लिये मुहब्बत का पैगाम आया
क्यूँ इतनी देर से बताया उसके बारे में मुझे,थी हुकूमत जिसकी दिल पे तेरे
मैनें ली कसम उस दिन खुदा की,जो होठों पे मेरे फ़िर कभी तेरा नाम आया
मगर फ़िर से.......
कल रात पुरानी यादों का,गुलशन-ए-तमाम आया
फ़िर बहुत रोया था मैं,तब जाकर आराम आया

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