Sunday, March 28, 2010



          शीर्षक ---------- तेरी तस्वीर
दिल ने खोली एक किताब पुरानी धूल सहती सी,
किताब मे मिली तेरी वही तस्वीर मुझसे कुछ पूछती कुछ कहती सी,
इतने दिनो बाद जो देखा तुझे कि खबर ना रही जमाने की,
फ़िर एक बार दिल मे आयी है तमन्ना तुझे अपना बनाने की,
सोचता हूँ शायद तू अब भी चाह्ती होगी मुझे,
बदनसीब हूँ जो इतना दूर चला आया बिन बताये तुझे,
दोस्तो ने बताया मुझे कि उसके बाद तेरा हर लम्हा ठहर गया,
यकीन नही होता कि तुझसे मिले हुये इतना वक्त गुजर गया,
तुझे लगा होगा कि खता मेरी थी,
कैसे समझाऊँ तुझे कि सब मेरे कैरियर की मजबूरी थी,
आज जब एक अच्छे मुकाम पे हूँ,
तो तू दिल मे फ़िर आयी है लहरो की तरह बहती सी,
पूछता हू फ़िर मिलोगी कभी,और तेरी तस्वीर मुझे लगती है कुछ कहती सी

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