Wednesday, June 1, 2011

दुनिया के रिश्ते

कोई न आया पूछ्ने हाल मेरा,जब छाये गमों के साये
तुमसे ही बस आस लगी थी,चलो तुम तो आये
सबका हिस्सा था खुशी में मेरी,गम बाँटने न कोई आया
गैरों से क्या उम्मीद मुझे,जब अपने हुए पराये
तुमसे ही बस आस लगी थी,चलो तुम तो आये
फूल खिलते हैं मुरझाते है,लोग मिलते हैं बिछड जाते है
कोई तो जिन्दगी में ऐसा मिले,जो मरते दम तक साथ निभाये
तुमसे ही बस आस लगी थी,चलो तुम तो आये
ये जीवन है चलता है,यहाँ कौन किसके लिये रुकता है
जिनपे था सब कुछ न्यौछावर,आज वही मुझसे कतराए
तुमसे ही बस आस लगी थी,चलो तुम तो आये
क्यों मतलबी दुनिया में नहीं कोई किसी का,जो चाहे सबको है अकेलापन उसी का
चाहता हूँ कोई तो मिले जो,दुनियादारी का ये खेल मुझे समझाये
तुमसे ही बस आस लगी थी,चलो तुम तो आये

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