Sunday, May 22, 2011

यादें-my alma mater


जा रहा हूँ समेटकर,पिछले चार साल की यादों के मंजर
बाहर जाकर मिलेगी एक नई दुनिया,फ़िर शुरू होगा एक नया सफ़र
दौलत शोहरत सब मिलेगी वहाँ,कुछ पीछे छूट जायेगा मगर
रोता हूँ ऐसे ,जैसे रोता है कोई बच्चा अपने खिलौने को खोकर
मुझे आज भी याद है वो date,month वो year
जब रखा था पहला कदम इस NITJ की जमीन पर
भूल सकता हूँ कैसे,वो सुहाना first year
जब मिले थे मुझे एक ऊँची उडान के लिये पर
याद रहेगा वो विधिपुर जाना,रात में hostel की boundry कूदकर
वो mess का खाना,मजबूरी में खाना,किसी five star hotal का खाना समझकर
याद हैं वो classes जिनमें लगायी थी proxy जमकर
वो करना class bunk,फ़िर canteen पर बैठना दिनभर
जिन्होंने कर दी आसान,मुश्किलों से भरी हर डगर
भूल न पाऊँगा ये दोस्त,जिनके साथ काटा मैनें engineering का सफ़र
सारी ज़िन्दगी तो जी डाली इन चार सालो में,फ़िर भी कुछ रह जायेगा अगर
तो वो है यारों की यारी,जिसके लिये कम है मेरी सारी उमर
रोता हूँ ऐसे ,जैसे रोता है कोई बच्चा अपने खिलौने को खोकर

No comments:

Post a Comment