Wednesday, June 1, 2011

दुनिया के रिश्ते

कोई न आया पूछ्ने हाल मेरा,जब छाये गमों के साये
तुमसे ही बस आस लगी थी,चलो तुम तो आये
सबका हिस्सा था खुशी में मेरी,गम बाँटने न कोई आया
गैरों से क्या उम्मीद मुझे,जब अपने हुए पराये
तुमसे ही बस आस लगी थी,चलो तुम तो आये
फूल खिलते हैं मुरझाते है,लोग मिलते हैं बिछड जाते है
कोई तो जिन्दगी में ऐसा मिले,जो मरते दम तक साथ निभाये
तुमसे ही बस आस लगी थी,चलो तुम तो आये
ये जीवन है चलता है,यहाँ कौन किसके लिये रुकता है
जिनपे था सब कुछ न्यौछावर,आज वही मुझसे कतराए
तुमसे ही बस आस लगी थी,चलो तुम तो आये
क्यों मतलबी दुनिया में नहीं कोई किसी का,जो चाहे सबको है अकेलापन उसी का
चाहता हूँ कोई तो मिले जो,दुनियादारी का ये खेल मुझे समझाये
तुमसे ही बस आस लगी थी,चलो तुम तो आये

दिल में हलचल है अजीब सी,कि आज मुझे दीवाना कर गया कोई
पतझड सी बिखरती जिन्दगी में,वसंत के रंग भर गया कोई
जी चाहे जल जाऊँ उस शमा की आग में,कि आज मुझे परवाना कर गया कोई
जब से देखा है उस चेहरे को,खुद से हो गया हूँ अनजान मैं
न कोई होश न खबर है दुनिया की,कि आज मुझे जमाने से बेगाना कर गया कोई
उन्मुक्त गगन का पंछी था,नहीं था किसी का बसेरा दिल में
अब रहता है वो यादों में इस तरह,कि दिल में ठिकाना कर गया कोई
ऐ खुदा अब तुझसे क्या कहूँ,जब वो मिले तो उम्र भर के लिये
ये न कहना पडे तुझसे कि यूँ ही,मेरे होने का बहाना कर गया कोई
अब दुआओं में और क्या माँगू,बस पाने की तमन्ना है उसे
जब से वो बन गया है मंजिल मेरी,कि जिन्दगी का सफ़र सुहाना कर गया कोई
दिल में हलचल है अजीब सी,कि आज मुझे दीवाना कर गया कोई

Sunday, May 22, 2011

यादें-my alma mater


जा रहा हूँ समेटकर,पिछले चार साल की यादों के मंजर
बाहर जाकर मिलेगी एक नई दुनिया,फ़िर शुरू होगा एक नया सफ़र
दौलत शोहरत सब मिलेगी वहाँ,कुछ पीछे छूट जायेगा मगर
रोता हूँ ऐसे ,जैसे रोता है कोई बच्चा अपने खिलौने को खोकर
मुझे आज भी याद है वो date,month वो year
जब रखा था पहला कदम इस NITJ की जमीन पर
भूल सकता हूँ कैसे,वो सुहाना first year
जब मिले थे मुझे एक ऊँची उडान के लिये पर
याद रहेगा वो विधिपुर जाना,रात में hostel की boundry कूदकर
वो mess का खाना,मजबूरी में खाना,किसी five star hotal का खाना समझकर
याद हैं वो classes जिनमें लगायी थी proxy जमकर
वो करना class bunk,फ़िर canteen पर बैठना दिनभर
जिन्होंने कर दी आसान,मुश्किलों से भरी हर डगर
भूल न पाऊँगा ये दोस्त,जिनके साथ काटा मैनें engineering का सफ़र
सारी ज़िन्दगी तो जी डाली इन चार सालो में,फ़िर भी कुछ रह जायेगा अगर
तो वो है यारों की यारी,जिसके लिये कम है मेरी सारी उमर
रोता हूँ ऐसे ,जैसे रोता है कोई बच्चा अपने खिलौने को खोकर

Wednesday, August 18, 2010

मासूम मुहब्बत का बस इतना सा फ़साना है
कागज़ की कश्ती है,बारिश का जमाना है
क्या शर्त-ए-मुहब्बत है,क्या शर्त-ए-जमाना है
आवाज़ भी जख्मी है और गीत भी गाना है
कोई उम्मीद भी नहीं उस पार उतरने की
कश्ती भी पुरानी है,तूफ़ान को भी आना है
वो समझें या न समझें अन्दाज़ मुहब्बत के
उस शख्स को आँखों से एक शेर तो सुनाना है
भोली सी अदा उनकी,आज फ़िर कोई उनसे इश्क की जिद पर है
फ़िर आग का दरिया है,और डूब के जाना है

दिल के किसी दूर के कोने से

१.
दोनों हाथ फैला कर माँगा तुझे खुदा से
मगर खुदा ने शायद मेरी सुनी ही नहीं
लोगों से पूछा सबब तेरे ना मिलने का
जवाब एक ही मिला कि तू मेरे लिये बनी ही नहीं

२.
कौन चला बागों से मस्तियाँ लेकर
कली-२ रो रही है सिसकियाँ लेकर
जो हँस रहे थे मेरे डूबने पर कल
वही निकले है आज मेरी तलाश मे कश्तियाँ लेकर

३.
बेवफ़ा तेरी बेवफ़ाई का अन्जाम क्या निकला
मेरे प्यार पे ना किया ऐतबार,इस से तेरा नाम,क्या निकला
तोड के देख लिया तूने शीशा मेरे दिल का
बता तेरी सूरत के सिवा और पैगाम क्या निकला

४.
प्यार करो अब अगर किसी से तो दिल से करना
इसे बस इश्क का नाम न देना
जैसा तूने मुझे दिया जालिम वैसा किसी को इनाम न देना
जान ले लेना चाहे उसकी
पर भूलकर भी उसे बेवफ़ाई का इल्ज़ाम न देना

५.
कसूर न उनका है न मेरा
दोनों ही रिश्तों की रस्म निभाते रहे
वो हमारे लिये दोस्ती का एहसास जताते रहे
और हम उनके लिये मुहब्बत दिल में छुपाते रहे

६.
जमाने भर की नेमतों में उतना सुकून नहीं
जितना इस दिले बीमार को तेरे प्यार में है
तुझे पा लूँ तो शायद में खुश ना रह सकूं
क्योकि प्यार का असली मज़ा तो तुझे पाने के इन्तज़ार में है

७.
बारिश बरसे रिमझिम-२ तो फ़िज़ाओं में नमी महसूस होती ही है
इस हसीन मौसम में कोई कितना ही भुलाये उनको
उनकी कमी तो महसूस होती ही है

८.
फ़िर आयी एक शाम बरसात की
दिल ने की तमन्ना तुझसे मुलाकात की
ऐसे आलम में गर जो तेरा साथ हो
जरूरत न हो जमाने में किसी के साथ की

९.
कभी इसे शीशा कहते हैं लोग तो कभी पत्थर कहता है जमाना
जो चाहो कह लो इसे,पर किसी का दिल कभी न दुखाना
क्योकि शीशे में होते हैं खुदा के बनाये इन्सानी चेहरे
तो पत्थर में खुद खुदा का ठिकाना

गिले शिकवे

शायद तुझसे सच्चे प्यार का ये सिला मिला
तुझसे जब भी मिला,कोई न कोई शिकवा गिला मिला
समझ ना सका तू प्यार को मेरे,चाहे रहता था खुदा की तरह दिल में मेरे
तू तो मुझसे ऐसे मिला कि कोई अजनबी मिला
छोड के मुझे तन्हा भरी दुनिया में
हो गया एक पल में किसी गैर का
मैं भी तो कर सकता था ये
मुझे तो गैरों का पूरा काफ़िला मिला
कसूर तेरा नहीं है मगर,कोई कमी मुझमें ही रही होगी
खुद को न बना सका तेरे प्यार के काबिल
यही एक गम लिये मैं इस दुनिया से चला
दिल में थी तमन्ना कि कोई हमसे भी वफ़ा करे
मगर दुनिया में जिससे भी मिला वो बेवफ़ा मिला
डरते हैं अब तो हम नाम से भी मुहब्बत के
तेरे जाने से गमों का ऐसा जलजला मिला
शायद तुझसे सच्चे प्यार का ये सिला मिला
तुझसे जब भी मिला,कोई न कोई शिकवा गिला मिला

गरीबी और आम इन्सान

निकला था उस शाम घर से टहलने को
देखा एक बच्चा खेलता हुआ फुटपाथ पे
साथ में थे उसके गरीब माँ बाप और बहन
अपने कुछ टूटे फूटे बर्तन और कपडों के गट्ठर के साथ
शायद घर नहीं था उनके पास
घर तो बहुत बडी बात है शायद पहनने को पूरे कपडे भी न थे
बहुत दुखः हुआ जब देखा उस बच्चे को खेलते हुए बिना खिलौनों के
बहुत तरस आया जब देखा उसकी बहन को
जो बडी मुश्किल से छुपा रही थी चीथडों में अपने जिस्म को
पता नहीं कहाँ से दो वक्त की रोटी का बन्दोबस्त करता होगा उसका बाप
शायद गरीबी ने मुश्किल कर दिया था जीवन उस परिवार का
पहले सोचा,हे ईश्वर,क्यों ये गरीबी बनाई तूने
क्यों बनाया सन्सार मे अमीर गरीब का भेदभाव
तभी आया वो बच्चा मेरे पास और कहा,भईया
दे दो मुझे एक रुपया,आइसक्रीम खानी है
मैनें दे दिया एक रुपया उसे
उसके बाप को लगा मेरा दिल पिघल गया
मगर न समझ आया उसे,कि मैं फ़रिश्ता नहीं एक आम इन्सान था
जो औरों की ही तरह मन ही मन
उसकी गरीबी पे हँसता हुआ आगे निकल गया